संजय साेलंकी का ब्लाग

दो बिल्लियाँ और एक बंदर : Panchtantra ki kahaani






एक जंगल में दो बिल्लियाँ रहती थी। उनका आपस में बहुत प्यार था। यूँ भी खाने को जो मिलता वह आपस में बाँट कर खाती थी।

एक दिन वह भोजन की तलाश में एक गाँव में गयी। वहां एक घर में उन्हें एक रोटी का टुकड़ा मिला..

उन दोनों बिल्लियों ने इस रोटी के टुकड़े को आपस में बांटकर खाना चाहा और रोटी के टुकड़े को बांटते समय उनका आपस में झगड़ा हो गया।

एक बिल्ली को अपनी रोटी का टुकड़ा दूसरी बिल्ली के टुकड़े से छोटा लगा तो वो बिल्लियाँ आपस में झगड़ने लगी।

दोनों बिल्लियों का झगड़ा आपस में बड़ता ही या रहा था। उनमे से एक बिल्ली ने कहा के किसी तीसरे से न्याय कराते है।

इस तरह दूसरी बिल्ली भी मान गई वह दोनों बिल्लियाँ जंगल की तरफ चल पड़ी और रास्ते में उन्हें एक बंदर मिला।

बिल्लियों ने सोचा चलो इस बंदर से ही न्याय कराते हैं। उन्होंने सारी बात उस बंदर को बताई और बंदर से न्याय करने के लिए विनती की।

यह सुनकर बंदर एक तराजू लेकर आया और रोटी के दोनों टुकड़े एक-एक पलड़े में रख दिए इस तरह तोलते समय यो टुकड़ा भारी होता बंदर उसे आप खा लेता था।

इस तरह जब दूसरी तरफ का पलड़ा भारी पड़ता बंदर उस में से कुछ टुकड़े को खा जाता।

इस तरह दोनों बिल्लियाँ बंदर को देखती रही और उसके फैसले का इंतज़ार करती रही।

परन्तु जब बिल्लियों ने देखा के रोटी को टुकड़ा बहुत छोटा रह गया है तो दोनों बिल्लियाँ बंदर से बोली, हम इस रोटी के टुकड़े का अपने-आप आपस में बांट लेगी..

इस पर बंदर बोला मुझे भी अपनी मेहनत की मजदूरी मिलनी चाहिए, हमें भी रोटी के टुकड़े में से कुछ हिस्सा मिलना चाहिए..

.... इतना कहकर बंदर ने बाकी बचे रोटी के टुकड़ों को अपने में मुंह में डाला और खा गया और दोनों बिल्लियों को वहाँ से भगा दिया।

दोनों बिल्लियाँ अब पछता रही थी उन्हें अपनी गलती का एहसास हो रहा था।

.... लेकिन अब पछताए क्या होवे जब चिड़िया चुग गई खेत!

हमारी आपसी लड़ाई का फायदा अक्सर बाहर वाले उठा ले जाते हैं!!
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