संजय साेलंकी का ब्लाग

सफ़ल गृहस्थ जीवन का राज : Sant Kabir Das






संत कबीर रोज सत्संग किया करते थे। दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी वहीं बैठा रहा।

कबीर ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, मुझे आपसे कुछ पूछना है।

वह आगे बोला.. मैं गृहस्थ हूं, घर में सभी लोगों से मेरा झगड़ा होता रहता है । मैं जानना चाहता हूं कि मेरे यहां गृह-क्लेश क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है?

कबीर थोड़ी देर चुप रहे, फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, लालटेन जलाकर लाओ।

कबीर की पत्नी लालटेन जलाकर ले आई। वह आदमी भौचक्का होकर यह देखता रहा। सोचने लगा इतनी दोपहर में कबीर ने लालटेन क्यों मंगाई।

थोड़ी देर बाद कबीर बोले, कुछ मीठा दे जाना। इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन देकर चली गई।

उस आदमी ने सोचा कि यह तो शायद पागलों का घर है। मीठा के बदले नमकीन.. दिन में लालटेन। वह बोला, कबीर जी मैं चलता हूं।

कबीर ने पूछा, आपको अपनी समस्या का समाधान मिला या अभी कुछ संशय बाकी है?

वह व्यक्ति बोला, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया।

तब कबीर ने कहा, जैसे मैंने लालटेन मंगवाई तो मेरी पत्नी कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो। इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत। लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए ही लालटेन मंगवाई होगी।

मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गई। हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो। यह सोचकर मैं चुप रहा। इसमें लड़ाई क्या करना? आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से विषम परिस्थिति अपने आप दूर हो जाती हैं।
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झील और ग्लास : Zen Story in Hindi






एक बार एक युवक किसी ज़ेन गुरु के पास जाकर बोला: "गुरुदेव, मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ, कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं!"

गुरु बोले: "पानी के ग्लास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो।"

युवक ने ऐसा ही किया..!

फिर गुरु ने युवक से पूछा: "इसका स्वाद कैसा लगा?"

युवक थूकते हुए बोला: "बहुत ही खराब… एकदम खारा!"

फिर गुरु मुस्कुराते हुए बोले: "एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक ले लो और मेरे साथ आओ।"

दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने जाकर रुक गए।

गुरु ने पुनः कहा: अब इस नमक को पानी में दाल दो।"

युवक ने ऐसा ही किया...

गुरु बोले: अब इस झील का पानी पियो।

युवक पानी पीने लगा......

एक बार फिर गुरु ने पूछा: "बताओ इसका स्वाद कैसा है? क्या अभी भी तुम्हे ये खरा लग रहा है?!"

"नहीं, ये तो मीठा है, बहुत अच्छा है", युवक बोला।

अब गुरु युवक के बगल में आकर बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले, "जीवन के दुःख बिल्कुल नमक की तरह हैं; न इससे कम ना ज्यादा। जीवन में दुःख की मात्र वही रहती है, बिल्कुल वही। लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं।

इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो.. कि खुद को बड़ा कर लो... ग़्लास मत बने रहो!!
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प्रेरक विचार : Motivational quotes in Hindi






विश्वप्रसिद्ध विचारकों के कुछ प्रमुख प्रेरक विचार:

~ लोग अक्सर कहते हैं कि प्रेरक विचारों से कुछ नहीं होता। हाँ भाई, वैसे तो नहाने से भी कुछ नहीं होता, तभी तो हम इसे रोज़ करने की सलाह देते हैं।
– ज़िग ज़िगलर

साहस भय की अनुपस्थिति नहीं है। यह तो इस निर्णय तक पहुँचने का बोध है कि कुछ है जो भय से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- एम्ब्रोस रेडमून

~ जिस आदमी के पास सिर्फ हथौड़ा होता है उसे अपने सामने आने वाली हर चीज़ कील ही दिखती है।
- अब्राहम मासलो

~ तीसरे दर्जे का दिमाग बहुमत के जैसी सोच रखने पर खुश होता है। दूसरे दर्जे का दिमाग अल्पमत के जैसी सोच रखने पर खुश होता है. और पहले दर्जे का दिमाग सिर्फ सोचने पर ही खुश हो जाता है।
- ए ए मिलन

~ अपने विचारों पर ध्यान दो, वे शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों पर ध्यान दो, वे क्रिया बन जाते हैं। अपनी क्रियाओं पर ध्यान दो, वे आदत बन जाती हैं। अपनी आदतों पर ध्यान दो, वे तुम्हारा चरित्र बनाती हैं। अपने चरित्र पर ध्यान दो, वह तुम्हारी नियति का निर्माण करता है।
- लाओ-त्जु

~ हम क्या सोचते हैं, क्या जानते हैं, और किसमें विश्वास करते हैं – अंततः ये बातें मायने नहीं रखतीं। हम क्या करते हैं वही महत्वपूर्ण है।
- जॉन रस्किन

~ सही राह पर होने के बाद भी यदि आप वहां बैठे ही रहेंगे तो कोई गाड़ी आपको कुचलकर चली जायेगी।
– विल रोजर्स

~ अपने शत्रुओं को सदैव क्षमा कर दो। वे इससे ज्यादा किसी और बात से नहीं चिढ़ते।
– ऑस्कर वाइल्ड

~ मेरा निराशावाद इतना सघन है कि मुझे निराशावादियों की मंशा पर भी संदेह होता है।

~ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसलिए आत्महत्या नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग क्या कहेंगे।

~ हम सभी रोज़ कुछ-न-कुछ सीखते हैं। और ज्यादातर हम यही सीखते हैं कि पिछले दिन हमने जो सीखा था वह गलत था।
– बिल वौगेन

~ लंबा पत्र लिखने के लिए माफी चाहता हूँ पर इसे छोटा करने के लिए मेरे पास समय नहीं था। – ब्लेज़ पास्कल

~ किसी सूअर से कुश्ती मत करो। तुम दोनों गंदगी में लोटोगे पर इसमें मज़ा सिर्फ सूअर को ही आएगा। – केल यार्बोरो

~ चूहादौड़ में अगर आप जीत भी जायेंगे तो भी चूहा ही तो कहलायेंगे! – लिली टॉमलिन

जब मुझे भूख लगती है तो खा लेता हूँ और जब थक जाता हूँ तो लेट जाता हूँ। मूर्ख मुझ पर हंस सकते हैं लेकिन ज्ञानीजन मेरी बातों का अर्थ समझते हैं।
- लिन-ची

~ विवाह करने से पहले मेरे पास बच्चों को पालने के छः सिद्धांत थे। अब मेरे पास छः बच्चे हैं पर सिद्धांत एक भी नहीं।
– जॉन विल्मोट

और अंत में सबसे मजेदार प्रेरक विचार...

~ मैं सैकड़ों ज्योतिषियों और तांत्रिकों के यहाँ गया और उन्होंने मुझे हजारों बातें बताईं। लेकिन उनमें से एक भी मुझे यह नहीं बता सका कि मैं एक पुलिसवाला हूँ जो उन्हें गिरफ्तार करने आया है।
– न्यूयॉर्क पुलिसमैन
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जलन : A story about jealousy






एक समय की बात है। किसी राज्य में चार ब्राम्हण रहते थे। एक दिन उन चारों ने तपस्या करके भगवान को खुश करने और भगवान के आशीर्वाद से अपनी मनो-कामना पूरी करने का विचार किया।

ऐसा विचार करके चारो ब्राम्हण जंगल की तरफ चले गए और तपस्या करने लगे। मौसम बीतें लेकिन उनकी तपस्या अनवरत जारी रही।

अंततः उनकी कठिन तपस्या से भगवान प्रसन्न हो गए और उनके सामने प्रकट हो गए और कहने लगे मैं तुम चारो की तपस्या से खुश हूँ। मांगों, क्या वर मांगते हो!

पहले ब्राम्हण ने कहा भगवान मुझे इस संसार का सबसे आमिर आदमी बना दो। भगवान ने कहा.. तथास्तु! और वह संसार का सबसे अमीर आदमी बन गया।

फिर भगवान ने दूसरे ब्राम्हण से कहा: मैं तुमसे भी खुश हूँ, तुम भी वर मांगों।

दूसरे ब्राम्हण ने कहा मुझे संसार का सबसे सुन्दर इंसान बना दो। भगवान ने फिर कहा.. तथास्तु! और वह संसार में सर्वाधिक सुंदर इंसान बन गया।

फिर भगवान ने तीसरे ब्राम्हण से कहा: मांगो, तुम क्या मांगते हो वत्स!

तीसरे ब्राम्हण ने कहा मुझे दुनिया का सबसे होशियार इंसान बना दो! भगवान नें कहा, तथास्तु!

फिर भगवान ने चौथे ब्राम्हण से कहा, मांगों.. तुम क्या मांगते हो वत्स!?

चौथे ब्राम्हण ने कहा: भगवान मुझे तो बस इतना वर दीजिए की ये तीनो जैसे थे वैसे ही हो जाए।

... अगर किन्ही दो बराबर लकीरों में से पहली को बड़ी बनाना है तो दूसरी लकीर को मिटाकर छोटी करने की बजाये पहली को ही और आगे बड़ा देना चाहिए।

ठीक उसी प्रकार इंसान को भी दूसरे को छोटा करने से बेहतर खुद को बड़ा या बेहतर बनाना चाहिए। क्योंकि दूसरे की प्रगति रोकने के चक्कर में वो खुद की प्रगति भी कम कर सकते है।

... जैसे अगर चौथा ब्राम्हण अपने लिए भी कुछ अच्छा मांग लेता तो भगवान उसे भी दे देते पर उसने जलकर अपने ही तीनो दोस्तों का नुकसान तो किया तो साथ में खुद का भी नुकसान कर लिया!
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स्वयंवर






कहीं किसी नदी के किनारे एक मुनियों का आश्रम था। वहाँ एक मुनिवर रहते थे।

एक दिन जब मुनि नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे कि अचानक उनकी पानी से भरी हथेली में ऊपर से एक चुहिया आकर गिर गई।

उस चुहिया को आकाश में एक बाज लिये जा रहा था। उसके पंजे से छूटकर वह नीचे गिर गई थी।

मुनि ने उसे पीपल के पत्ते पर रखा और फिर से गंगाजल में स्नान किया। चुहिया में अभी प्राण शेष थे। उसे मुनि ने अपने प्रताप से एक सुंदर कन्या का रुप दे दिया, और अपने आश्रम में ले आये।

मुनि नें अपनी पत्‍नी को कन्या अर्पित करते हुए कहा कि इसे अपनी ही लड़की की तरह पालना।

मुनि की अपनी कोई सन्तान नहीं थी, इसलिये मुनिपत्‍नी ने उसका लालन-पालन बड़े प्रेम से किया। युवावस्था तक वह उनके आश्रम में ही पलती रही।

जब कन्या की विवाह योग्य अवस्था हो गई तो मुनिपत्‍नी ने मुनि से कहा - "हे स्वामी! हमारी कन्या अब विवाह योग्य हो गई है। अतः इसके विवाह का प्रबन्ध कीजिये।"

मुनि ने कहा - "मैं अभी सूर्य को बुलाकर इसे उसके हाथ सौंप देता हूँ। यदि इसे स्वीकार होगा तो उसके साथ विवाह कर लेगी, अन्यथा नहीं।

मुनि ने पूछा: "हे पुत्री! यह त्रिलोक को प्रकाश देने वाला सूर्य, तुम्हें पतिरूप में स्वीकार है?"

पुत्री ने उत्तर दिया - "पिताश्री! यह तो आग जैसा गरम है, मुझे स्वीकार नहीं.. इससे अच्छा कोई वर बुलाइये।"

मुनि ने सूर्य से पूछा कि वह उससे श्रेष्ठ कोई वर बतलाये।

सूर्य ने कहा - "मुझ से अच्छे तो मेघ हैं, जो मुझे ढँककर छिपा लेते हैं।"

मुनि ने मेघ को बुलाकर अपनी पुत्री से पूछा - "क्या यह तुझे पतिरूप में स्वीकार है?"

कन्या ने कहा - "यह तो बहुत काला है.. अतः इससे भी अच्छे किसी वर को बुलाओ।"

मुनि ने मेघ से भी पूछा कि उससे अच्छा कौन है.. मेघ ने कहा, "मुझ से अच्छे तो वायुदेव हैं, जो मुझे उड़ाकर विभिन्न दिशाओं में ले जाते है।"

मुनि ने वायुदेव को बुलाया और पुनः कन्या से स्वीकृति पूछी।

कन्या ने कहा - "पिताश्री! यह तो बड़े ही चंचल है। इनसे भी किसी अच्छे वर को बुलाओ।"

मुनि ने वायुदेव से भी पूछा कि उनसे श्रेष्ठ कौन है.. वायुदेव ने कहा, "मुझ से श्रेष्ठ पर्वत है, जो बड़ी से बड़ी आँधी में भी स्थिर रहता है।"

मुनि ने पर्वत को बुलाया और पुनः अपनी कन्या से पूछा तो उस ने कहा - "पिताश्री! यह तो बड़ा कठोर और गंभीर है, इससे अधिक अच्छा कोई वर बुलाओ।"

मुनि ने पर्वत से कहा कि वह अपने से श्रेष्ठ कोई वर सुझाये। तब पर्वत ने कहा - "मुझ से अच्छा चूहा है, जो मुझे तोड़कर अपना बिल बना लेता है।"

मुनि ने तब चूहे को बुलाया और पुनः कन्या से कहा - "पुत्री! यह चूहा तुझे स्वीकार हो तो इससे विवाह कर ले।"

मुनिकन्या ने चूहें को बड़े ध्यान से देखा। उसके साथ उसे विलक्षण अपनापन अनुभव हो रहा था।

प्रथम दृष्टि में ही वह उस पर मुग्ध हो गई और बोली - "हे पिताश्री! मुझे यह स्वीकार है। आप मुझे चुहिया बनाकर इन चूहे जी के हाथों सौंप दीजिये।"

मुनि ने अपने तपोबल से उसे फिर चुहिया बना दिया और चूहे के साथ उसका विवाह कर दिया।
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सफल लोगों की 10 सफल आदतें : 10 Habits of successful people






हर इंसान सफल होना चाहता हैं। लेकिन सवाल यह है कि सफल हुआ कैसे जाए? क्योंकि दिन मेें तो सिर्फ 24 घंटे ही होते हैं, तो क्या अतिरिक्त प्रयास किये जायें? लेकिन यदि इन्हीं 24 घण्टों को सही से और ज्यादा प्रभावशाली तरीके से जिया जाए तो एक ही जीवन में कई जीवन जीना संभव हो सकता है।

1. शुक्रगुजार: सफल लोग ईश्वर का हर दिन आभार व्यक्त करते हैं। इसके अतिरिक्त वो दिन में एक बार किसी ना किसी का शुक्रिया जरूर अदा करते हैं।

2. सीखने की ललक: वो लगातार सीखने में विश्वास करते हैं और स्वयं में सुधार लाते रहते हैं। वो गलतियों से घबराने की बजाय उनसे सीख कर आगे बढ़ने में यकीन करते हैं।

3. रोलमॉडल: वो हमेशा किसी ना किसी को अपना रोलमॉडल बनाकर उसकी तरह बनने का प्रयास करते हैं। जिससे उनके सामने एक लक्ष्य बना रहें।

4. माहौल: सफल लोग अपने आस-पास सकारात्मक, बड़ी सोच वाले, उदार मन वाले और सकारात्मक गुडविल वाले लोगों से घिरे रहते हैं। उनके आस-पास किसी भी फालतू बातें करने वालो के लिए कोई जगह नहीं होती।

5. पढ़ना: सफल लोग हर दिन पढ़ते है। अपनी जानकारी बढ़ाने और ज्ञानवर्धन के लिए वे हर दिन आधा घंटे अखबार, प्रेरणादायी किताबें या इंटरनेट पर सर्फ करके पढ़ते जरूर हैं।

6. टेक्नोलॉजी: सफल लोग टेक्नालाॅजी को अपना गुलाम बनाते हैं, खुद उसके गुलाम नहीं बनते। वो अपनी इच्छा से इंस्टाग्राम, फेसबुक, टिवटर आदि का उपयोग करते हैं.. हर वक्त नहीं।

7. व्यायाम: सफल लोग नियमित रूप से घूमने जाते है.. व्यायाम करते हैं और 7-8 घंटो की अच्छी नींद लेते हैं। सेहत की कीमत पर सफलता का चुनाव सफल लोग नहीं करते।

8. खुला दिमाग: सफल लोग खुले दिमाग वाले होते हैं। और अच्छे विचारों को अपनाते हैं लेकिन किसी भी बुरे विचार को अपने अंदर नहीं आने देते, अगर आता भी है तो तुरंत नकार कर देते हैं।

9. खुश रहना: सफल लोग हमेशा खुश रहतें है और लगातार यह कोशिश करते है कि उनके आसपास के लोग भी हमेशा खुश रहें.. मुस्कुरातें रहें।

10. उम्मीद: सफल लोग हमेशा अच्छे की उम्मीद रखते है। वे मानते है कि जो भी हो रहा है, अच्छे के लिए ही हो रहा है।
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गुण - दोष : Story of two buckets






किसी गाँव में एक व्यक्ति को बहुत दूर से पीने के लिए पानी भरकर लाना पड़ता था। उसके पास दो बाल्टियाँ थीं जिन्हें वह एक डंडे के दोनों सिरों पर बांधकर उनमें तालाब से पानी भरकर लाता था।

उन दोनों बाल्टियों में से एक के तले में एक छोटा सा छेद था जबकि दूसरी बाल्टी बहुत अच्छी हालत में थी।

तालाब से घर तक के रास्ते में छेद वाली बाल्टी से पानी रिसता रहता था और घर पहुँचते-पहुँचते उसमें आधा पानी ही बचता था। बहुत लम्बे अरसे तक ऐसा रोज़ होता रहा और किसान सिर्फ डेढ़ बाल्टी पानी लेकर ही घर आता रहा।

अच्छी बाल्टी को यह देखकर अपने ऊपर घमंड हो गया। वह छेदवाली बाल्टी से कहती थी की वह अच्छी बाल्टी है और उसमें से ज़रा सा भी पानी नहीं रिसता। छेदवाली बाल्टी को यह सुनकर बहुत दुःख होता था और उसे अपनी कमी पर शर्म आती थी।

छेदवाली बाल्टी अपने जीवन से पूरी तरह निराश हो चुकी थी। एक दिन रास्ते में उसने किसान से कहा:
मैं अच्छी बाल्टी नहीं हूँ! मेरे तले में छोटे से छेद के कारण पानी रिसता रहता है और तुम्हारे घर तक पहुँचते-पहुँचते मैं आधी खाली हो जाती हूँ।

तब किसान ने छेदवाली बाल्टी से कहा:
क्या तुम देखती हो कि रास्ते में जिस ओर तुम होती हो वहाँ हरियाली है और फूल खिलते हैं लेकिन दूसरी ओर नहीं।

ऐसा इसलिए है कि क्योंकि मैं तुम्हारे तरफ की पगडण्डी में फूलों और पौधों के बीज छिड़कता रहता था जिन्हें तुमसे रिसने वाले पानी से सिंचाई लायक नमी मिल जाती थी।

दो सालों से मैं इसी वजह से ईश्वर को फूल चढ़ा पा रहा हूँ। यदि तुममें वह बात नहीं होती जिसे तुम अपना दोष समझती हो तो हमारे आसपास इतनी सुन्दरता नहीं होती।

.... दोष सबमें होते है। लेकिन हर दोष की बुराई करने की बजाए उसका सही विकल्प तलाश करना चाहिए। क्योंकि कुछ दोष अच्छे हो सकते है।
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पिता, पुत्र और एक सपना : Story of Brooklyn bridge






इंजीनियर जॉन रोबलिंग के जीवन में सन 1883 एक महत्वपूर्ण वर्ष था। इस वर्ष वह न्यूयॉर्क से लांग आईलैंड को जोड़ने के लिए एक शानदार पुल का निर्माण करने के अपने विचार पर अमल करने वाले थे।

यह दुनिया का पहला स्टील वायर सस्पेंशन से बना पुल था और दुनिया में इस तरह का कोई दूसरा पल नहीं बना था, इसलिए यह चर्चा का विषय था। विशेषज्ञों ने इसे एक असंभव उपलब्धि कह कर उनके इस विचार को खारिज कर दिया था। पूरी दुनिया उनके विचार के खिलाफ थी और उन्हे योजना बंद करने के लिए कहा गया।

रोबलिंग की अंतरात्मा उनसे हर पल कहती थी कि उनकी राय पुल के बारे में सही है। रोबलिंग को उसके विचार के लिए सिर्फ एक आदमी का समर्थन प्राप्त था और वो था उनका बेटा वाशिंगटन। वाशिंगटन भी एक इंजिनियर था।

उन्होंने एक विस्तृत योजना तैयार की और आवश्यक टीम को भर्ती किया। उन्होंने पुल निर्माण का काम शुरू किया लेकिन कार्यस्थल पर हुई एक अनहोनी दुर्घटना मे रोबलिंग की मृत्यु हो गई।

आम तौर पर कोई और होता तो इस कार्य को छोड़ देता, लेकिन वाशिंगटन ने अपने पिता का काम पूरा करने का निर्णय लिया क्योंकि उन्हे अपने पिता के सपने पर यकीन था।

इसके बाद एक और अनहोनी हुई। एक दुर्घटना में वाशिंगटन को मस्तिष्क क्षति का सामना करना पड़ा और वह स्थिर हो गये। उन्हे इस हद तक पैरालिसिस हो गया कि न तो चल सकते थे और न ही बात कर सकते थे। यहाँ तक कि वह हिल भी नहीं सकते थे।

वाशिंगटन इतनी खराब तबियत के बावजूद निर्माण कार्य जारी रखना चाहते थे। उन्हे किसी भी हाल में पिता का सपना पूरा करना था।

वह बातचीत करने के लिए अपनी पत्नी पर पूरी तरह से निर्भर करते थे। उन्होंने पत्नी से बातचीत करने के लिए अपनी एक स्वस्थ उंगली का इस्तेमाल किया। अपनी बात संपूर्णता से समझाने हेतु एक कोड प्रणाली विकसित की।

अगले 13 सालों तक उस एक उंगली के दम पर उनकी पत्नी ने उनके निर्देशों को समझा। समझने के बाद वह उन्हे इंजीनियरों को समझाया करती थी।

इंजिनियर उसके निर्देशों पर काम करते गए और आखिरकार ब्रुकलिन ब्रिज हकीकत में बन कर तैयार हो गया।

आज ब्रुकलिन ब्रिज एक शानदार उदाहरण के रूप मे बाधाओं का सामना करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में खड़ा है।

कोई सोच भी नहीं सकता था कि बिस्तर पर लेटा एक इंसान सिर्फ एक ऊंगली के सहारे इतनी बड़ी उपलब्धि हांसिल कर लेगा।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि:

1. दूसरों के मजाक उड़ाने के बावजूद हमें बड़े सपने देखना नहीं छोड़ना चाहिए।
2. शारिरिक अंपगता, कठिन परिस्थिती और मुश्किलों को भी हौंसलो के दम पर हराया जा सकता है।
3. दुनिया की सभी सफल लोगों में एक बात समान है कि उन्होंने असाधारण दिक्कतों का सामना किया था।
4. कहते है, "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत" यानी कि जब तक आप अपने मन से नहीं हारते, तब तक दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं हरा सकती।
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सफल शादीशुदा जिंदगी का राज़

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एक बार एक शादीशुदा दंपत्ति ने अपने खुशहाल शादीशुदा जीवन की 50वीं सालगिरह का आयोजन किया।

अपने छोटे से शहर में रहते हुए वे बहुत अच्छे दंपत्ति के रूप में प्रसिद्द थे क्योंकि कभी भी किसी ने उन्हें झगड़ते हुए नहीं देखा था।

स्थानीय समाचार पत्र के एक पत्रकार ने उस अवसर पर पति से उनके सुखी विवाहित जीवन का राज़ पूछा – “आज के जमाने में आपकी तरह इतना खुशहाल शादीशुदा जीवन असंभव है। इसका कारण क्या है?”

पति ने उत्तर दिया – हमारी शादी के बाद हम हनीमून मनाने के लिए शिमला गए।

हमने घोड़े की सवारी करने के लिए दो घोड़े ले लिए।

मेरा घोड़ा तो बहुत अच्छा और शांत था लेकिन मेरी पत्नी का घोड़ा बहुत चंचल था।

रास्ते में कुछ दूर जाने के बाद मेरी पत्नी के घोड़े ने बिदक कर उसे नीचे गिरा दिया।

मेरी पत्नी शांति से जमीन से उठी, उसने घोड़े को थपथपाया और कहा ‘ये तुमने पहली बार किया’ और घोड़े पर बैठ गई।

कुछ देर बार घोड़े ने उसे फिर से नीचे गिरा दिया।

इस बार भी वह सहजता से घोड़े से बोली ‘ये तुमने दूसरी बार किया’ और वापस घोड़े पर बैठ गई।

जब घोड़े ने उसे तीसरी बार नीचे गिरा दिया..

.. तब उसने अपने पर्स से पिस्तौल निकाली ... और घोड़े को मार दिया!

मैं चिल्लाया! – ये तुमने क्या किया!? घोड़े को मार डाला! तुम पागल हो क्या!?

पत्नी ने मुझे शांत भाव से एक नज़र देखा और बोली – "ये तुमने पहली बार किया।"

“इस तरह हमारा वैवाहिक जीवन बहुत सुख-शांति से बीता।”
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मछलियों की खुशी

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एक दिन च्वांग-त्जु और उनका दोस्त एक तालाब के किनारे बैठे हुए थे।

च्वांग-त्जु ने अपने दोस्त से कहा – उन मछलियों को तैरते हुए देखो! वे कितनी खुश हैं।

तुम खुद तो मछली नहीं हो – उनके दोस्त ने कहा... फ़िर तुम यह कैसे जानते हो कि वे खुश हैं?

तुम भी तो मैं नहीं हो.. च्वांग-त्जु ने कहा... फ़िर तुम यह कैसे जानते हो कि मैं यह नहीं जानता कि मछलियाँ खुश हैं?!
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साधू और नवयुवती

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शाम के वक्त दो बौद्ध भिक्षुक आश्रम को लौट रहे थे! अभी-अभी बारिश हुई थी और सड़क पर जगह जगह पानी लगा हुआ था!

चलते चलते उन्होंने देखा की एक खूबसूरत नवयुवती सड़क पार करने की कोशिश कर रही है पर पानी अधिक होने की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है!

दोनों में से बड़ा बौद्ध भिक्षुक युवती के पास गया और उसे उठा कर सड़क की दूसरी और ले आया! इसके बाद वह अपने साथी के साथ आश्रम को चल दिया!

शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला, “ भाई, भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते?”

“हाँ”, बड़े ने उत्तर दिया!

तब छोटे ने पुनः पूछा, “ लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था?”

यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, “ मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था, पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो!
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दो कप चाय






जीवन में जब सब कुछ एक साथ करने और तेज़ी से सब कुछ पा लेने की इच्छा होती है.. और इस आपाधापी में हम सारे रिश्ते-नातें सब भूल जाते है।

यह कहानी उसी के बारें में है:

दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाने वाले है..

उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी को टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची।

फिर उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई?

आवाज आई - हाँ!

…फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे-छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये। धीरे-धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी, समा गये।

फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा - क्या अब बरनी भर गई है?

छात्रों ने एक बार फ़िर कहा - हाँ! भर गई है।

अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से धीमे-धीमे उस बरनी में रेत डालना शुरु किया। वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई।

अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे…!

फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा - क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना?

सभी ने एक साथ कहाँ - हाँ.. अब तो पूरी भर गई है!

प्रोफेसर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई।

अब प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया - इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो!

... और टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग.. अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं!

... छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं!

... और रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ आदि है।

अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती.. और अगर कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते.. हाँ रेत जरूर आ सकती थी।

ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है। यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पड़े रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा।

मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है। अपने बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो, सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक-अप करवाओ…

टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है। पहले तय करो कि क्या जरूरी है… बाकी सब तो रेत है।

छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे... अचानक एक ने पूछा.. सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि "चाय के दो कप"क्या हैं?

प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले.. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया!

इसका उत्तर यह है कि... जीवन हमें चाहे जितना भी संपूर्ण और संतुष्ट लगे... लेकिन अपने खास दोस्तों के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये!
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माँ : एक कहानी (Happy Mother's Day)

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एक समय की बात है, एक बच्चे का जन्म होने वाला था। जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा : मैं इतना छोटा हूँ, खुद से कुछ कर भी नहीं पाता, भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा? कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये, मैं कहीं नहीं जाना चाहता।

.. भगवान् बोले, मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं, उन्ही में से एक मैंने तुम्हारे लिए चुन लिया है, वो तुम्हारा ख़याल रखेगा।

पर आप मुझे बताइए, यहाँ स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता बस गाता और मुस्कुराता हूँ, मेरे लिए खुश रहने के लिए इतना ही बहुत है।

.. तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हारे लिए गायेगा और हर रोज़ तुम्हारे लिए मुस्कुराएगा भी.. और तुम उसका प्रेम महसूस करोगे और खुश रहोगे।

और जब वहां लोग मुझसे बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे? मुझे तो उनकी भाषा भी नहीं आती!

.. तुम्हारा फ़रिश्ता तुमसे सबसे मधुर और प्यारे शब्दों में बात करेगा, ऐसे शब्द जो तुमने यहाँ भी नहीं सुने होंगे, और बड़े धैर्य और सावधानी के साथ तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बोलना भी सीखाएगा।

और जब मुझे आपसे बात करनी हो तो मैं क्या करूँगा?

.. तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना सीखाएगा, और इस तरह तुम मुझसे बात कर सकोगे।

मैंने सुना है कि धरती पर बुरे लोग भी होते हैं। उनसे मुझे कौन बचाएगा?

.. तुम्हारा फ़रिश्ता तुम्हे बचाएगा, भले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों ना आ जाये।

लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूँगा क्योंकि मैं आपको नहीं देख पाऊंगा।

.. तुम इसकी चिंता मत करो; तुम्हारा फ़रिश्ता हमेशा तुमसे मेरे बारे में बात करेगा और तुम वापस मेरे पास कैसे आ सकते हो बतायेगा।

उस वक़्त स्वर्ग में असीम शांति थी, पर पृथ्वी से किसी के कराहने की आवाज़ आ रही थी….बच्चा समझ गया कि अब उसे जाना है, और उसने रोते-रोते भगवान् से पूछा,हे ईश्वर! अब तो मैं जाने वाला हूँ, कृपया अब तो मुझे उस फ़रिश्ते का नाम बता दीजिये?

.. भगवान् बोले, फ़रिश्ते के नाम का कोई महत्त्व नहीं है, बस इतना जानो कि तुम उसे “माँ” कह कर पुकारोगे।

!! Happy Mother's Day !!
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I too had a Love Story






कई दिनों की नज़रअंदाज़गी के बाद आखिरकार I too had a love story हाथ आ ही गई। वाकई गर्मी की छुट्टियाँ और इंसान का वेल्लापन कुछ भी करवा सकता है।

अंग्रेज़ी नॉवेल्स से परिचय जूल्स वेर्ने के 1873 में लिखे Around the world in 80 days से हुआ था। उसमें भी उस वक़्त के फ्रेंच लेखक द्वारा फ्रेंच भाषा में मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर का ज़िक्र रोमांचित कर गया था।

उस रोमांच के बाद फिर कई रोमांटिक नोवेल्स से सामना हुआ। छोटा भाई कालेज से वापसी के लंबे सफर में अक्सर अंग्रेजी नॉवेल्स लेकर आता था। कई देखें, कुछ अनदेखे रह गए। और हर बार की तरह I too had a love story हमेशा अधूरा ही रह जाता रहा।

लेकिन Ravinder Singh वाकई King of ramance है। उनका English writing में देसी तड़का लाजवाब है। हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी.. लगता ही नहीं है कि विदेशी भाषा पढ़ रहे है। उनकी writing, feelings, emotions सब दिल को छू लेने वाले है।

I too had a love story एक अच्छी pure, magical, emotional love story है।
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Morning life hacks in Hindi

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सुबह जल्दी उठने के फायदे :

एक अंग्रेजी में कहावत हैं जिसका मतलब है "जल्द सोना और जल्द उठना इंसान को समझदार और धनवान बनाता है" लेकिन इमानदारी से कहा जाए तो सुबह 4-5 बजे जागना किसे पसंद होगा, ज़ाहिर हैं कि कोई भी सुबह सुबह की अपनी प्यारी-प्यारी मीठी-मीठी नींद को खराब नहीं करना चाहेगा.. लेकिन फिर भी कुछ लोग तो हैं जो सुबह जल्दी उठ जाते हैं और मोस्ट प्रोबेब्ली ऐसे लोग ज्यादा कामयाब होते हैं, यानी कामयाबी सुबह जल्दी उठने वालों को ही ज्यादा मिलती हैं.. तो सुबह जल्दी उठने के फायदे क्या हो सकते हैं?!

1. सवेरे जल्दी उठने पर आप एक शानदार दिन की शुरुआत होते देख सकते हैं। सुबह जल्द उठने से आप का दिन बड़ा हो जाता है, आपको ज्यादा समय मिलता है। पहले तो मैं देर से उठा करता था और बिस्तर से उठते ही मोबाइल में लग जाया करता था, टालमटोल करते करते कब दस बज जाती थी पता ही नहीं चलता था, फलस्वरूप स्कूल देर से पहुँचता था! तेज़ गति से ड्राइव करके सीधे ही अटेंडेंस और फिर क्लास लेनी होती थी, जिससे, चिडचिडा हो गया था। हर दिन इसी तरह शुरू होता था। अब, मैंने सवेरे के कामों को व्यवस्थित कर लिया है। बहुत सारे छोटे-छोटे काम मैं 8:00 से पहले ही निपटा लेता हूँ।! सवेरे जल्दी उठकर अपने दिन की शुरुआत करने से बेहतर और कोई तरीका नहीं है।

2. जो वक़्त आप खुद के लिए नहीं निकाल पाते, उसे सुबह आप के लिए निकाल लेती है। गाड़ियों के हार्न, टी-वी की आवाज़, शोरगुल वगैरह सुबह न के बराबर होता है। सुबह के कुछ घंटे शांतिपूर्ण होते हैं मन की शांति के लिए भी सुबह का समय ही बेहतर है। सुबह उठकर फिल्मे गाने सुनने कि बजाये धार्मिक भजन वगैरह सुने या धार्मिक ना हो तो इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक सुने!

3. और ये तो सभी जानते ही हैं कि शरीर और स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का समय ही है। सुबह जल्दी उठकर कसरत कर लेनी चाहिए और सुबह सुबह कसरत करने का फायदा यह है कि आप इसे फ़िर किसी और समय के लिए टाल नहीं सकते। दिन में या शाम को तो अक्सर कई दूसरे ज़रूरी काम आ जाते हैं और कसरत स्थगित करनी पड़ जाती है।

4. सुबह जल्दी उठकर ही आप भरपेट नाश्ता कर सकते हैं! वाग्भट्ट जी ने भी आयुर्वेद के अनुसार सुबह जल्दी उठकर भोजन करने को श्रेष्ठ बताया हैं, उनके अनुसार सुबह के समय पेट में जठराग्नि सबसे तीव्र जलती हैं अतः सुबह के समय जो भी खाने का दिल करे वो खाना चाहिए! बाकी डिटेल्स पर किसी और पोस्ट में बातें करेंगे!

5. ऑफिस जाते वक़्त भयंकर ट्रेफिक में आना-जाना कोई पसंद नहीं करता। और अधिकतर ट्रेफिक सुबह काम पर जाते वक़्त ही मिलता हैं , अतः ऑफिस या काम के लिए कुछ जल्दी निकल पड़ने से न केवल ट्रेफिक से छुटकारा मिलता है बल्कि काम भी जल्द शुरू हो जाता है। और जल्दबाजी में ना होने कि वजह से स्लो भी जा सकते हैं जिससे सुरक्षा के साथ साथ पेट्रोल की भी बचत होती हैं!




अब ये बात तो समझ आ गई कि सुबह जल्दी उठने के अनेको फायदे हैं लेकिन.. लेकिन सबसे मुश्किल काम तो है सुबह उठना, तो ये काम कैसे करेंगे?

1. सोने से पहले से दृढ़ निश्चय करके सोये कि आप सुबह जल्दी उठेंगे।
2. घड़ी पर अलार्म डाल कर सोने जाएँ, और उसे दूर रखें, ताकि सुबह आवाज़ बंद करने के लिए आपको उठ कर, चल कर उसके पास जाना पड़े ।
3. उठते ही एक या दो गिलास पानी पी लें.. और फिर बाथरूम से निकलने के बाद ब्रश करते ही दिन शुरू हो जाता है।
और फिर खुद को सुबह टहलने , दौड़ने या कसरत करने के लिए तैयार कर लें.. क्योंकि एक नया और खुबसूरत दिन आपका इन्तेजार कर रहा हैं!
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Musibat se saamna : नेपोलियन बोनापार्ट






नेपोलियन बोनापार्ट विश्व के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में से एक थे। वे अक्सर जोखिम भरे काम किया करते थे।

एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढ़े।

सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करना लगभग असंभव था।

उस विशाल पहाड़ को देखकर नेपोलियन की सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया।

पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोली की क्यो मरना चाहते हो..?

यहाँ जितने भी लोग आये है वो मुँह की खाकर हमेशा के लिये यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ।

उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया.. और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना।

उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए।

‘जो करने या मरने‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।
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Ants : चीटियाँ और उनकी बातें

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क्या आपने कभी सोचा है की चींटियाँ  कैसे एक दूसरे के साथ संवाद कर लेती  हैं? वे इंसानों की तरह बात नहीं करती, तो वे कैसे अपने ही दोस्तों को बता देती है के उन्होंने  भोजन का एक बड़ा ढेर पाया है, या यदि एक शिकारी के पास है?

हालांकि चींटियाँ आपकी या मेरी तरह बात नहीं करतीं लेकिन वास्तव में उनकी एक बहुत विस्तृत "भाषा" है जिसमे चींटियाँ हरकत और गंध का उपयोग करती है भले ही आप विश्वास करें या नहीं..

चींटियाँ  एक विशेष प्रकार का रसायन छोडती हैं जिसे pheromones कहा जाता है. pheromones की महक से  अन्य चींटियों को भोजन के लिए राह का पता चल जाता है. इसी खुशबू द्वारा वे  अपने बच्चों, या खतरे के समय  में एक दूसरे की रक्षा की कर पाती हैं.

गंध के अलावा, चींटियाँ संपर्क के लिए  स्पर्श का उपयोग करती हैं. उदाहरण के लिए, अगर एक चींटी को भोजन के एक ढेर से पता चलता है, यह अपनी  पड़ोसी चींटी पर एंटीना और सामने के पैर रगड़ती है ताकि वह ध्यान दे और यह अच्छी खबर आगे बढ़ा दे ! इस काम में मदद करने के लिए, उनके पैर पर विशेष बाल होते हैं जो उन्हें और भी अधिक संवेदनशील, स्पर्श और कंपन महसूस करने में सक्षम बनाते  हैं.

क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने कीड़ों द्वारा उपयोग के सभी संचार के तरीकों  के लिए विशेष नाम दिए  है? कुछ नामों पर एक नज़र डालते हैं :

Mimetic  :इशारों और हरकत के माध्यम से संचार !

Pteratic विंग कंपन के माध्यम से संचार !

Spiracular- श्वास नलियों  के माध्यम से संचार (इसे spiracles भी कहते  हैं !)

Antennal - एंटीना के माध्यम से संचार !
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Musafir : एक छोटी कहानी






एक अजनबी मुसाफ़िर किसी गाँव में पहुँचा। गाँव में दाखिल होते ही उसे कुछ लोग मिल गए। एक बुज़ुर्ग को संबोधित करते हुए उसने पूछा, इस गाँव के लोग कैसे हैं? क्या वे अच्छे और मददगार हैं??

बुज़ुर्ग ने अजनबी के सवाल का सीधे जवाब नहीं दिया, उल्टे एक सवाल कर दिया, मेरे भाई! तुम जहाँ से आए हो वहाँ के लोग कैसे हैं? क्या वे अच्छे और मददगार हैं?

वह अजनबी अत्यंत रुष्ट और दुःखी होकर बोला, मैं क्या बताऊँ? मुझे तो बताते हुए भी दुःख होता है कि मेरे गाँव के लोग अत्यंत दुष्ट हैं।
इसलिए मैं वह गाँव छोड़कर आया हूँ।

लेकिन आप यह सब पूछकर मेरा मन क्यों दुखा रहे हैं?
बुज़ुर्ग बोला, मैं भी बहुत दुःखी हूँ। इस गाँव के लोग भी वैसे ही हैं। तुम उन्हें उनसे भी बुरा पाओगे।

तभी एक और राहगीर आ गया। उसने भी उस बुज़ुर्ग से यही सवाल किया, इस गाँव के लोग कैसे हैं?

बुज़ुर्ग ने भी फिर से वही सवाल पूछा.. पहले तुम बताओ जहाँ से तुम आये हो, वहाँ के लोग कैसे हैं?

राहगीर यह सुनकर मुस्करा दिया। उसके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई। उसने कहा कि मेरे गाँव के लोग इतने अच्छे हैं कि उनकी स्मृति मात्र से सुख की अनुभूति होती है।

वह गाँव छोड़ते हुए मुझे दुःख है, लेकिन रोज़गार की तलाश यहाँ तक मुझे ले आई है। इसलिए पूछ रहा हूँ कि यह गाँव कैसा है?

... बुज़ुर्ग बोला, मेरे भाई! यह गाँव भी वैसा ही है। यहाँ के लोग भी उतने ही अच्छे हैं!!
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Ant & Leaf : चींटी और पत्ता






किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था तालाब के पास एक बगीचा था। जिसमे अनेक प्रकार के पेड़-पौधे लगे थे। दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बगीचे की तारीफ करते।

गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे।

पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा।

उसके अंदर तरह-तरह के विचार आने लगे- सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं, शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं…कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं.. और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा।

दिन यूँ ही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया।

बगीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे, देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए।

पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा।

पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी।

चींटी प्रयास करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु तय लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज़ दी, घबराओ नहीं.. आओ.. मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ!

और ऐसा कहते हुए अपनी उपर बैठा लिया।आंधी रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुँच गया; चींटी किनारे पर पहुँच कर बहुत खुश हो गयी और बोली, आपने आज मेरी जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है। सचमुच आप महान हैं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और बोला, धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ..
जिससे मैं आज तक अनजान था। आज पहली बार मैंने अपने जीवन के मकसद और अपनी ताकत को पहचान पाया हूँ।
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होम एक्सरसाइज टिप्स: Home workout tips in hindi






शुरुआत में रूटीन बनाने में थोड़ी मुश्किल आती है लेकिन जब आप ये करने लगते है तो तो उसके बाद सब आसान हो जाता है ऐसे में खुद को वर्कआउट के लिए तैयार करने के लिए कुछ जरुरी बातें है जिन्हें आप फॉलो कर सकते है तो चलिए जानते है वो कौन सी है –

1. आराम से शुरू करें:
आप जिम में पहले ही दिन भारी वर्कआउट करके अच्छी बॉडी बनाने की सोचते हैं तो इसे भूल जाइए। बस एक नार्मल लाइफ रूटीन की तरह ही शुरू करें।

आपको जिम के पहले कुछ हफ्तों तक हल्का-फुल्का वर्कआउट करना होगा।

2. सुबह जल्दी उठे:
सुबह जल्दी उठना सबसे बड़ी टेढ़ी खीर होती है और यही सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बाधा है जो आपको होती है इसके लिए अलार्म आपकी हाथ की पहुँच से दूर होना चाहिए।

ताकि आप नींद में ही इसे बंद नहीं कर सके। अगर आप एक बार उठ जाते है तो आपके लिए मन बनाना आसान हो जायेगा और आप वर्कआउट शुरू कर सकते है।

3. स्‍ट्रेचिंग और मांसपेशियों पर ध्यान दें:
वर्कआउट करने के लिए स्‍ट्रेचिंग करना भी जरूरी है। इससे आपकी मांसपेशियां भी मजबूत रहती हैं और यह आपकी बॉडी को लचीला बनाए रखने में भी मदद करता है।

मांसपेशियां में मजबूती धीरे-धीरे बनती है और हल्का वार्मअप भी इसके लिए जरूरी होता है। किसी भी तरह के लिफ्ट्स करने से पहले बॉडी को वार्मअप जरूरी है।

4. ट्रेनिंग पार्टनर ढूंढे:
जिम में अगर आप अकेले वर्कआउट करते हैं तो कोशिश करें कि आप एक ट्रेनिंग पार्टनर ढूंढ लें। ट्रेनिंग पार्टनर स्पोर्ट के लिए जरूरी होता है।

उदाहरण के लिए जब आप लाइटवेट से हेवीवेट लिफ्ट्स करेंगे तो आपको सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में वजन को सपोर्ट देने वाले की जरूरत बढ़ जाती हैं।

5. मोबाइल रखें चार्ज:
अगर आप वर्कऑउट के लिए जाते है या फिर अगर मोर्निंग वाक के लिए भी जाते है तो ऐसे समय में आप बोर नहीं हों इसके लिए अपने मोबाइल या म्यूजिक डिवाइस को चार्ज करकें रख लें ताकि आप अपने मनपसंद म्यूजिक को सुनते हुए वर्कआउट कर सकें।

6. शरीर के बदलावों का रखें ध्यान:
जैसे-जैसे आप वर्कआउट करेंगे अपकी बॉडी में बदलाव आने शुरू होंगे। ऐसे में उन बदलावों को ध्यान में रखकर ही वर्कआउट करें।

उदाहरण के लिए जब आप ऐब्स बनाने के लिए वर्कआउट करेंगे तो आपके पेट पर काफी बदलाव आने शुरू होंगे। ऐसे में आपको उसके हिसाब से ही अपना वर्कआउट रूटीन बनाना पड़ेगा।

7. पॉश्‍चर और चोटों पर दे ध्यान:
कोई भी एक्सरसाइज करते समय सही पॉश्‍चर रखना बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं करेंगे तो हो सकता है कि आप चोटिल भी हो जाएं। इसके अलावा अगर आपके पहले से चोटिल हैं तो उसका ध्यान रखें।

8. सही डाइटचार्ट फॉलो करें:
एक्‍सरसाइज करने से पहले और करने के बाद कुछ खाना जरूरी है। हेल्थी ब्रेकफास्ट से दिन की शुरुआत करें ताकि आपका पूरा दिन बेहतर जाये। ध्यान रखें, सुबह और शाम का नाश्ता बेहद ज़रूरी है।

9. पानी पीने का रूटीन बनायें:
पानी ज्यादा से ज्यादा पीये। जितना संभव हो उतना पीने की कोशिश करें, पानी एक ही बार मे पीने की आदत बदलकर सिप-सिप करके पीने की आदत डालें। एक्सरसाइज शुरू करने से कुछ देर पहले पानी पी लें और एक्सरसाइज के कुछ देर बाद भी पानी पिये। पूरे दिन में कभी भी शरीर मे पानी की कमी ना होने दें।

10. नींद का ध्यान रखें:
और आखिर में सबसे जरूरी बात, नींद पूरी करें और प्रोपर नींद पूरी करें। रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी जागने की कोशिश करें।

शुरू करना ही आधी जंग जीतने जैसा है। अगर एक बार एक्सरसाइज शुरू ही कर दी है तो यह ही आधी जंग जीतने जैसा है क्योंकि एक बार शुरू करने पर आपको इसकी आदत हो जाती है और अगर अपने डेडिकेशन के साथ इसे शुरू किया है तो एक समय के बाद यह आपकी जिन्दगी का अहम् रूटीन बन जाता है। अगर जिम जाने का मन नहीं है तो घर पर एक्सरसाइज आज से ही शुरू कर लेनी चाहिए।
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5 Health Tips in Hindi

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1. कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।

2. घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करते रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें।

कच्चे और पके हुए खाने को अलग–अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।

3. ताजी सब्जियों–फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें। बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें।

खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।

4. खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें।

कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का–फुल्का हो। खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल–अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में ‘वैरायटी ऑफ फूड‘ शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।

5. अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ–सुथरा, हवादार और खुला–खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय–समय पर धूप दिखाकर झटकारें।

मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें। कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें।

अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
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A Lesson : एक सबक






एक बार एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे। बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए टीचर ने जेब से 100 रुपये का एक नोट निकाला। अब बच्चों की तरफ वह नोट दिखाकर कहा – बच्चों, क्या आप लोग बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है?

बच्चों ने एक साथ कहा – “100 रुपये का”!

टीचर – इस नोट को कौन-कौन लेना चाहेगा? सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया।

अब उस टीचर ने उस नोट को मुट्ठी में बंद करके बुरी तरह मसला, जिससे वह नोट बुरी तरह कुचल सा गया। अब टीचर ने फिर से बच्चों को नोट दिखाकर कहा कि अब यह नोट कुचल सा गया है, अब इसे कौन लेना चाहेगा?

सभी बच्चों ने फिर हाथ उठा दिया।

अब उस टीचर ने उस नोट को जमीन पर फेंका और अपने जूते से बुरी तरह कुचल कर टीचर ने नोट उठाकर फिर से बच्चों को दिखाया और पूछा कि अब इसे कौन लेना चाहेगा?

सभी बच्चों ने फिर से हाथ उठा दिया।

अब टीचर ने कहा कि बच्चों आज मैंने तुमको एक बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया है। ये 100 रुपये का नोट था, जब मैंने इसे हाथ से कुचला तो ये नोट कुचल गया, लेकिन इसकी कीमत 100 रुपये ही रही, इसके बाद जब मैंने इसे जूते से मसला तो ये नोट गन्दा हो गया, लेकिन फिर भी इसकी कीमत 100 रुपये ही रही।

ठीक वैसे ही इंसान की जो कीमत है और इंसान की जो काबिलियत है वो हमेशा वही रहती है। आपके ऊपर चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, चाहें जितनी मुसीबतों की धूल आपके ऊपर गिरे लेकिन आपको अपनी कीमत नहीं गंवानी है। आप कल भी बेहतर थे और आज भी बेहतर हैं।
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एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

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