संजय साेलंकी का ब्लाग

A Lesson : एक सबक






एक बार एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे। बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए टीचर ने जेब से 100 रुपये का एक नोट निकाला। अब बच्चों की तरफ वह नोट दिखाकर कहा – बच्चों, क्या आप लोग बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है?

बच्चों ने एक साथ कहा – “100 रुपये का”!

टीचर – इस नोट को कौन-कौन लेना चाहेगा? सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया।

अब उस टीचर ने उस नोट को मुट्ठी में बंद करके बुरी तरह मसला, जिससे वह नोट बुरी तरह कुचल सा गया। अब टीचर ने फिर से बच्चों को नोट दिखाकर कहा कि अब यह नोट कुचल सा गया है, अब इसे कौन लेना चाहेगा?

सभी बच्चों ने फिर हाथ उठा दिया।

अब उस टीचर ने उस नोट को जमीन पर फेंका और अपने जूते से बुरी तरह कुचल कर टीचर ने नोट उठाकर फिर से बच्चों को दिखाया और पूछा कि अब इसे कौन लेना चाहेगा?

सभी बच्चों ने फिर से हाथ उठा दिया।

अब टीचर ने कहा कि बच्चों आज मैंने तुमको एक बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया है। ये 100 रुपये का नोट था, जब मैंने इसे हाथ से कुचला तो ये नोट कुचल गया, लेकिन इसकी कीमत 100 रुपये ही रही, इसके बाद जब मैंने इसे जूते से मसला तो ये नोट गन्दा हो गया, लेकिन फिर भी इसकी कीमत 100 रुपये ही रही।

ठीक वैसे ही इंसान की जो कीमत है और इंसान की जो काबिलियत है वो हमेशा वही रहती है। आपके ऊपर चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, चाहें जितनी मुसीबतों की धूल आपके ऊपर गिरे लेकिन आपको अपनी कीमत नहीं गंवानी है। आप कल भी बेहतर थे और आज भी बेहतर हैं।
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एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

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