संजय साेलंकी का ब्लाग

प्रेम






किसी बादशाह की एक फकीर के साथ घनिष्ट मित्रता हो गई। फकीर हमेशा बादशाह की परछाई बन रहता और बादशाह का भी उस फकीर पर बहुत प्रेम हो गया।

एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक ही फल लगा था।

बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा। बादशाह ने फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा फकीर को दिया।

फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, "बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया।"

एक टुकड़ा और दे दीजिये। दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल गया। फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग लिया। इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए।

जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने कहा, "यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं। मेरा तुम पर प्रेम है, लेकिन तुम मुझसे प्रेम नहीं करते!"

....और ऐसा कहते हुए बादशाह ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया। मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था।

बादशाह बोला, "तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए?"

...उस पर फकीर का जवाब था, "जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं? इसलिए सब टुकड़े खुद ही खाता गया ताकि आपको पता न चले।"
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क्रोध, प्रेम, मौन






एक गुरू अपने शिष्यों के साथ नदी के तट पर नहाने पहुँचें। वहाँ पहले से मौजूद एक परिवार के कुछ लोग अचानक ही आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो गए और जोर-जोर से चिल्लाने लगे।

गुरू ने यह देखकर अपने शिष्यों से पुछा;

"क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं?"

शिष्य कुछ देर तक सोचते रहे, फिर उनमें से एक ने उत्तर दिया;

"क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं, इसलिए!”

गुरू ने पुनः प्रश्न किया;

"लेकिन जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है, तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है? उसे जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं"।

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया लेकिन बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए।

अंततः गुरू ने समझाया…

"जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं। और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते। वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा।"

"और क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं? तब वे चिल्लाते नहीं, बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं, क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं, और उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है।”

...और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है?

अंत में गुरू ने कहा; "तब वे बोलते भी नहीं, वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं।”
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