संजय साेलंकी का ब्लाग

भेड़ और भेड़िया






कभी हमारे घर को भी पवित्र करो। करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा।

'मैं जरूर आती, बशर्ते तुम्हारे घर का मतलब तुम्हारा पेट न होता।' भेड़ ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया।
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एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

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