संजय साेलंकी का ब्लाग

अक्षय तृतीया की कहानियाँ : Akshay tritiya in hindi






अक्षय तृतीया हिन्दू केलेण्डर के वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। शुक्ल पक्ष अर्थात अमावस्या के बाद के पंद्रह दिन जिनमें चंद्रमा बढ़ता है। अक्षय तृतीया शुक्ल पक्ष में ही आती है। इसे बोल-चाल की भाषा में अखाती तीज भी कहते हैं।

अक्षय तृतीया का अर्थ :

अक्षय का अर्थ होता है “जो कभी खत्म ना हो” और इसीलिए कहा जाता है कि अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता। इस दिन होने वाले कार्य मनुष्य के जीवन को कभी न खत्म होने वाले शुभ फल प्रदान करते हैं।

अक्षय तृतिया का महत्व:

यह दिन सभी शुभ कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अक्षय तृतीया के दिन विवाह होना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। जिस प्रकार इस दिन पर दिये गए दान का पुण्य कभी खत्म नहीं होता उसी प्रकार इस दिन होने वाले विवाह में भी पति–पत्नी के बीच प्रेम कभी खत्म नहीं होता।

विवाह के अलावा सभी मांगलिक कार्य जैसे, उपनयन संस्कार, घर आदि का उद्घाटन, नया व्यापार डालना, नए प्रोजेक्ट शुरू करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन सोना तथा गहने खरीदना भी शुभ होता हैं। इस दिन व्यापार आदि शुरू करने से मनुष्य को हमेशा तरक्की मिलती है तथा उसके भाग्य में दिनों दिन शुभ फल की बढ़ोत्तरी होती है।

अक्षय तृतिया की कहानियाँ :

अखाती तीज के पीछे कई कहानियाँ हैं। कुछ इसे भगवान विष्णु के जन्म से जोड़ती हैं, तो कुछ इसे भगवान कृष्ण की लीला से। सभी मान्यताएँ आस्था से जुड़ी होने के साथ साथ बहूत रोचक भी हैं...

1. यह दिन पृथ्वी के रक्षक श्री विष्णुजी को समर्पित है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार विष्णुजी ने श्री परशुराम के रूप में धरती पर अवतार लिया था। इस दिन परशुराम के रूप में विष्णुजी छटवी बार धरती पर अवतरित हुए थे और इसीलिए यह दिन परशुराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

2. त्रेता युग में धरती की सबसे पावन नदी गंगा इसी दिन स्वर्ग से धरती पर आई। गंगा नदी को भागीरथ धरती पर लाये थे। इस पवित्र नदी के धरती पर आने से इस दिन की पवित्रता और बढ़ जाती है और इसीलिए यह दिन हिंदुओं के पावन पर्व में शामिल है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं।

3. यह दिन रसोई एवं भोजन की देवी माँ अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन माँ अन्नपूर्णा का भी पूजन किया जाता है और माँ से भंडारे भरपूर रखने का वरदान मांगा जाता है। अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।

4. दक्षिण भारत में इस दिन कुबेर ने शिवपुरम नामक जगह पर शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था। कुबेर की तपस्या से प्रसन्न हो कर शिवजी ने कुबेर से वर मांगने को कहा, कुबेर ने अपना धन एवं संपत्ति लक्ष्मीजी से पुनः प्राप्त करने का वरदान मांगा। तभी शंकरजी ने कुबेर को लक्ष्मीजी का पूजन करने की सलाह दी।

इसीलिए तब से ले कर आज तक अक्षय तृतीया पर लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। लक्ष्मी विष्णु पत्नी हैं इसीलिए लक्ष्मीजी के पूजन के पहले भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। दक्षिण में इस दिन लक्ष्मी यंत्रम की पूजा की जाती है, जिसमें विष्णु, लक्ष्मीजी के साथ–साथ कुबेर का भी चित्र रहता है।

5. अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना आरंभ की थी। इसी दिन महाभारत के युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इस अक्षय पात्र की विशेषता थी, कि इसमें से कभी भोजन समाप्त नहीं होता था। इस पात्र के द्वारा युधिष्ठिर अपने राज्य के निर्धन एवं भूखे लोगों को भोजन दे कर उनकी सहायता करते थे।

6. महाभारत में अक्षय तृतीया के दिन दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण किया था। द्रौपदी को इस चीरहरण से बचाने के लिए श्री कृष्ण ने कभी न खत्म होने वाली साड़ी का दान किया था।

7. जब श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया, तब अक्षय तृतीया के दिन उनके निर्धन मित्र सुदामा, कृष्ण से मिलने पहुंचे। सुदामा के पास देने के लिए सिर्फ चार चावल के दाने थे, वही सुदामा ने उनके चरणों में अर्पित कर दिये, परंतु श्री कृष्ण सब कुछ समझ गए और उन्होने सुदामा की निर्धनता को दूर करते हुए उसकी झोपड़ी को महल में परिवर्तित कर दिया और उसे सब सुविधाओं से सम्पन्न बना दिया।

8. उड़ीसा राज्य में अक्षय तृतीया का दिन किसानों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन से ही यहाँ के किसान अपने खेत को जोतना शुरू करते हैं। इस दिन उड़ीसा के विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथपूरी से रथयात्रा भी निकाली जाती है।
Share:

No comments:

Post a Comment

Popular Post

Thank you for your visit. Keep coming back!

मेरे बारे में

My photo
एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

संपर्क करें



Search This Blog

Blog Archive

Thank you for your visit. Keep coming back!

Categories

Popular Posts

Blog Archive

Recent Posts