संजय साेलंकी का ब्लाग

राजकुमार और नौकरानी की बेटी






किसी राज्य में बहुत पहले एक राजकुमार था जो जल्द ही राजा बनने वाला था। राज्य की परंपरा के अनुसार राजा बनने से पहले उसे विवाह करना आवश्यक था।

दरबार के एक बुद्धिमान व्यक्ति ने उसे सलाह दी कि वह राज्य की सभी विवाह योग्य युवतियों को बुलाकर उनमें से अपने लिए सुयोग्य वधु का चुनाव करे।

राजकुमार के महल में एक स्त्री काम करती थी जिसकी पुत्री भी विवाह योग्य थी। जब उसने राजकुमार के विवाह के लिए की जा रही तैयारियां होते देखा तो उसका दिल डूबने लगा क्योंकि उसकी पुत्री राजकुमार से बहुत प्रेम करती थी।

उसने घर पहुंचकर राजकुमार के विवाह की खबर अपनी पुत्री को दी। वह यह जानकर अचंभित हो गई कि उसकी पुत्री भी स्वयंवर में जाना चाहती थी।

उसने अपनी पुत्री से कहा, “बिटिया, तुम वहां जाकर क्या करोगी? वहां तो पूरे देश से सुंदर और धनी लड़कियां राजकुमार का वरण करने के लिए आएंगी। राजकुमार से विवाह की इच्छा अपने मन से निकाल दो। मैं जानती हूं कि तुम्हें इससे दुख होगा लेकिन अपने दुख को खुद पर हावी करके अपने जीवन को व्यर्थ न होने दो!”

पुत्री ने कहा, “मां, तुम चिंतित न हो। मैं दुखी नहीं हूं और मेरा निर्णय सही है। मुझे पता है कि राजकुमार मुझे नहीं चुनेगा लेकिन इसी बहाने मुझे कुछ समय के लिए उसके निकट होने का मौका मिलेगा। मेरे लिए यही बहुत है। मैं जानती हूं कि मेरी किस्मत में महलों का प्रेम नहीं लिखा है।”

स्वयंवर की रात को सभी नवयुवतियां महल पहुंचीं। वहां सुंदर-से-सुंदर और धनी युवतियों का जमघट था जो सुंदर वस्त्रों और बहुमूल्य आभूषणों से स्वयं को सुसज्जित करके राजकुमार की नजरों में आने के किसी भी मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी।

राजकुमार ने तब भरे दरबार में सभी युवतियों से कहा, “मैं तुममें से प्रत्येक को एक बीज दूंगा। इस बीज से पौधा निकलने के छः महीने बाद जो युवती मुझे सबसे सुंदर फूल लाकर देगी मैं उसी से विवाह करुंगा और वही इस राज्य की रानी बनेगी।”

सभी युवतियों को गमले में एक-एक बीज रोपकर दे दिया गया। महल की नौकरानी की पुत्री को बागवानी या पौधे की देखभाल के बारे में कुछ पता नहीं था फिर भी उसने बहुत धैर्य और लगन से गमले की देखभाल की। राजकुमार के प्रति उसके दिल में गहरा प्रेम था और वह आश्वस्त थी कि पौधे से निकलनेवाला फूल बहुत सुंदर होगा।

तीन महीने बीत गए लेकिन गमले में कोई पौधा नहीं उगा। नौकरानी की पुत्री ने सब कुछ करके देख लिया। उसने मालियों और किसानों से बात की, जिन्होंने उसे बागवानी की कुछ तरकीबें सुझाईं, लेकिन किसी ने काम नहीं किया। उसके गमले में कुछ नहीं उगा, और इसी सब में छः महीने बीत गए।

अपने खाली गमले को लेकर वह राजमहल पहुंची। उसने देखा कि बाकी युवतियों के गमलों में बहुत अच्छे पौधे उगे थे और हर पौधे में एक अद्वितीय फूल खिला था। हर फूल एक-से-बढ़कर-एक था।

अंत में वह घड़ी आ गई जिसकी सभी बाट जोह रहे थे। राजकुमार दरबार में आया और उसने सभी युवतियों के गमलों और फूल को बहुत गौर से देखा।

फिर राजकुमार ने परिणाम की घोषणा की। उसने नौकरानी की पुत्री की ओर इशारा करके कहा कि वह उससे विवाह करेगा।

वहां उपस्थित सभी जन रोष व्यक्त करने लगे। उन्होंने कहा कि राजकुमार ने सुंदर फूल लेकर आई युवतियों की उपेक्षा करके उस युवती को चुना जो खाली गमला लेकर चली आई थी।

राजकुमार ने शांतिपूर्वक सभी को संबोधित कर कहा, “केवल यही युवती रानी बनने की योग्यता रखती है क्योंकि उसने सच्चाई और ईमानदारी का फूल खिलाया है। जो बीज मैंने छः महीने पहले सभी युवतियों को दिए थे वे निर्जीव थे। उनसे पौधा उगकर फूल खिलना असंभव था।”




Share:

No comments:

Post a Comment

Popular Post

Thank you for your visit. Keep coming back!

मेरे बारे में

My photo
एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

संपर्क करें



Search This Blog

Blog Archive

Thank you for your visit. Keep coming back!

Categories

Popular Posts

Blog Archive

Recent Posts