संजय साेलंकी का ब्लाग

यादें

ना मिटाओ मेरी यादों को
मेरी जगह दे दो
किसी ओर को
ऐसा तुमनें कहा था
लेकिन तुम्हें पता नहीं
ये सब इंसान के हाथों में नहीं
इसलिए शायद मुश्किल हैं
मुश्किल है, शायद नामुमकिन
क्योंकि तुम्हारी यादें
महज़ कोई याद नहीं
वो तो यादों से भरा
एक घोंसला है
और उस घोंसले में
अपना घर बनाकर
हर रोज़ मैं रहा करूँगा

वह घर
जो लगता है
अपना सा
किसी नए सपने सा
हाँ, जीवन के इस वृक्ष में
जब कोई पंछी रहने आएगा
मैं लाकर दूँगा उसे दाना-पानी
रखूँगा खूब ख्याल
कभी साथ खेलूँगा
तो कभी कोई गीत सुनाऊंगा

गीत सुनते हुए
समय दौड़ेगा
तेज़ रफ़्तार से
और वृक्ष फले-फूलेगा
बड़े ही प्यार से
लेकिन अबके जो आएगा
वो बनाएगा
एक नया घोंसला
जो होगा
पिछले घोंसले से बेहतर
बेहतर होंगे तिनके
और बेहतर होगी दुनिया
जिसमे वो नया पंछी गायेगा
और दुनिया को
अपनी मौजूदगी का एहसास कराएगा
उसमें होगी लाखों खूबियां
वो खुशियों को
एक नए सिरे से सजायेगा
फिर भी तुम्हारी जगह
कोई और नहीं ले पायेगा

जीवन के खेल में
कोई दूसरा मौका नहीं मिलता
इसलिए इस कमी को भरने के लिए
हर रोज़
कतरा-कतरा
कुछ यादें मिटा रहा हूँ
वजह चाहे जो भी हो
तुम्हारी यादें मेरी निजी है
ठीक वैसे ही
जैसे मेरा जीवन
अब किसी ओर की निधि है
चाहे मैं खुद
तुम्हें भूल जाऊँगा
लेकिन तुम्हारी जगह
किसी ओर को नहीं दे पाउँगा!
────────────────────────────────
- संजय © 2018


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