कहते है पतंग का इतिहास कई साल पुराना है। लेकिन मेरा तो पतंग संग बचपन से ही याराना है। पतंग, जो हमें ख्वाब दिखाती है। ख्वाब होते है ज़िंदगी में ऊँचाइयां पाने के। ज़िंदगी में ऊँचाइयां सबकी ख्वाहिश होती है। और ख्वाहिशें अक्सर खानाबदोश होती है। वैसे कभी-कभी खानाबदोश होना अच्छा होता है। क्योंकि खानाबदोशी में चीज़ों को पकड़ कर नहीं रखा जाता, उन्हें आजाद छोड़ा जाता है। और आजादी तो हर पतंग का हक़ है। हक़ जो एक महीन धागे से बंधा होता है और हर उड़ाने वाले के हिसाब से बदलता रहता है।
हिसाब, जिसमें खींचोगे तो पतंग दौड़ी आएगी, लेकिन ढील दोगे तभी वह ऊपर जाएगी।
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- संजय, © 2018
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