संजय साेलंकी का ब्लाग

सपना

ज़िंदगी में हर कोई कुछ ना कुछ बनना चाहता है। कुछ बनने वाले सपना देखते है, और कुछ ना बनने वाले भी। कुछ सपने वर्तमान के होते है और कुछ भविष्य के। लेकिन सबसे बुरे होते है, भूतकाल के सपने.. बीते हुए कल के सपने, जो वाकई किसी भूत की तरह ही डराते है। लेकिन मुझे पसंद है वो सपना जो अतीत की यादों से शुरू हुआ हो और ज़िंदगी के अंत तक जाता हो।

मुझे सपने के अंदर, अपने सपने को देखना और उसके इर्दगिर्द अपनी जिंदगी जीना पसंद है।
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- संजय, 2018

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एक सीधा-सादा इंसान! घोर पारिवारिक! घुमक्कड़! चाय प्रेमी! सिनेमाई नशेड़ी! माइक्रो-फिक्शन लेखक!

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