संजय साेलंकी का ब्लाग

चे ग्वेरा का लाल सलाम


आज जब JNU में लाल सलाम गूंजता है तो कहीं दूर से एक तस्वीर नज़र आती है.. तस्वीर अर्नेस्तो चे ग्वेरा की.. चे ग्वेरा, एक ऐसा नाम.. जिसका नाम आज भी दुनिया के मजलूमों के लिए एक मिसाल है। युवाओं और क्रांतिकारियों के लिए चे ग्वेरा आज भी एक प्रेरणास्रोत हैं। एक क्रांतिकारी के रूप में जो स्थान भगत सिंह का हिंदुस्तान में है वही स्थान चे ग्वेरा का लैटिन अमरिका सहित पूरी दुनिया में है।

आखिर कैसे अर्जेंटीना में पैदा हुआ लड़का क्यूबा की आजादी का हीरो बन गया.. आखिर कैसे डॉक्टर बनने का ख्वाब पाले लड़का, पूरी दुनिया में क्रांति का प्रणेता बन गया! चे ग्वेरा ने युवावस्था में अपनी मोटरसाइकिल से अर्जेंटिना की करीब 12 हजार किमी की लंबी यात्रा की। यात्राएं जिन्होंने उन्हें असली दुनिया से रूबरू कराया। यात्राएं जिसने उन्हें जीना सिखाया.. उन्होंने अपनी यात्रा संस्मरणों पर किताब भी लिखी थी- मोटरसाइकिल डायरीज। जिस पर सन 2004 में फिल्म भी बनी।

अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान चे ग्वेरा पूरे लैटिन अमरीका में खूब घूमें। और इन दौरान समाज में व्याप्त गरीबी, भुखमरी, असमानता और घोर शोषण ने उन्हें हिलाकर रख दिया। और इसके लिये उन्होंने एकाधिप्तय पूंजीवाद, नव उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद को जिम्मेदार माना, और इनसे छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका था - विश्व क्रांति!


तो बस.. चे ग्वेरा ने अपनी डॉक्टरी का झोला बंद किया और क्रांति की तलाश में चल दिये.. ग्वांटेमाला में काम करते हुए उन्होंने अरबेंज के समाजवादी शासन के खिलाफ सीआईए की सजिशों को देखा जिससे उनके दिल में अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए नफरत भर गई।

इस दौरान उन्होंने ग्वान्टेमाला के राष्ट्रपति गुज़मान के द्वारा किए जा रहे समाज सुधारों में भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी सोच और मजबूत हो गई जब 1954 में गुज़मान को अमरीका की मदद से हटा दिया गया। इसके कुछ ही समय बाद मेक्सिको सिटी में इन्हें राऊल कास्त्रो और फिदेल कास्त्रो मिले और ये क्यूबा की 26 जुलाई क्रांति में शामिल हो गए।

चे ग्वेरा जल्द ही क्रांतिकारियों की कमान में दूसरे स्थान तक पहुँच गए और बातिस्ता के राज्य के विरुद्ध दो साल तक चले अभियान में इन्होंने मुख्य भूमिका निभाई।

चे ग्वेरा के विरोधी उन्हें एक खूंखार हत्यारा कहते हैं। लेकिन चे ग्वेरा एक लड़ाके थे जिन्हें दुनिया के गरीबो-शोषितो से प्यार था। उनका कहना था कि एक सच्चा क्रांतिकारी प्यार की गहरी भावना से संचालित होता है। उनकी सबसे बड़ी खासियत थी कि वे किसी भी विचारधारा की कमी और मजबूती को अच्छे से समझते थे। वे यह भी समझते कि हर देश की भौतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुसार शोषण के खिलाफ लड़ाई के अलग-अलग रूप हो सकते हैं।

चे ग्वेरा का साफ-साफ मानना था कि आजादी की लड़ाई भूख से ही जन्म लेती है। और दुनिया में हो रहे अत्याचार को दूर करने के लिए वो क्यूबा की सरकार में मंत्री बनकर राज़ करने की बजाए क्यूबा को छोड़ अफ्रीका के कांगो के जंगलों में क्रांतिकारियों को गुरिल्ला युद्ध सिखाने चले गए। इसके बाद उन्होंने अमरिका समर्थित बोलिविया में भी क्रांति लाने का प्रयास किया। लेकिन पकड़े गए और उन्हें गोली मार दी गई।


मरते वक्त चे ग्वेरा ने अपने दुश्मन बोलिवियाई सार्जेंट टेरान से कहा था- तुम एक इंसान को मार रहे हो, पर उसके विचार को नहीं मार सकते।
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